शादी को 10 साल हो चुके थे। मैं, काव्या (बदला हुआ नाम), और मेरे पति आर्यन के रिश्ते में प्यार था, लेकिन धीरे-धीरे समय के साथ हमारे बीच कुछ खो गया था। वो बातें, जो पहले हमें जोड़ती थीं, अब बहस का कारण थीं। हमारी जिंदगी एक रूटीन बन चुकी थी। घर, ऑफिस, और बच्चों के बीच खुद को कहीं खो चुकी थी।
मेरे पति ऑफिस और करियर की जिम्मेदारियों में इतने उलझे थे कि हमारे बीच की बातचीत खत्म सी हो गई थी। हमारी बातचीत “खाना खा लिया?” और “बिल भर दिया?” तक सिमट गई थी। हमारी शादी “कंट्रोल्ड कोऑर्डिनेशन” बनकर रह गई थी।
एक दिन मेरी एक पुरानी दोस्त घर आई। उसने कहा, “तुम्हारे चेहरे पर पहले वाली चमक नहीं रही। क्या हुआ?” उस रात मैंने आईने में खुद को देखा। वाकई, मैं बदल गई थी। न सिर्फ चेहरे पर, बल्कि दिल में भी एक उदासी थी।
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मैंने महसूस किया कि मैं आर्यन से कई साल पुरानी शिकायतों को ढो रही थी। उन दिनों को याद कर रही थी, जब उन्होंने मेरे बर्थडे पर कुछ खास नहीं किया, जब वो मेरी प्रोमोशन की खुशी में शरीक नहीं हो पाए। हर शिकायत ने हमारे बीच एक दीवार बना दी थी। लेकिन ये सोच कर भी मैंने अनदेखा कर दिआ और फिर से अपनी वही मायूस सी ज़िन्दगी में व्यस्त हो गयी।
फिर एक दिन, मेरे बेटे ने पूछा, “माँ, क्या पापा आपसे नाराज रहते हैं?” इस सवाल ने मुझे झकझोर दिया। मैंने महसूस किया कि बच्चों पर भी हमारे रिश्ते की दूरियां असर डाल रही थीं। जब भी बच्चे हमसे कोई खुशी बांटना चाहते थे, हम या तो बहस कर रहे होते या एक-दूसरे से बात ही नहीं कर रहे होते। मैं बच्चों को समझाने की कोशिश करती कि पापा थके हुए हैं या काम में बिजी हैं, लेकिन अंदर से मुझे पता था कि ये सच नहीं है।
मेरे बच्चे के मासूम सवाल ने मुझे अंदर तक झकझोर दिया। शायद यही एक सवाल मेरी उदासी भरी ज़िंदगी को नई राह दिखाने का जरिया बन गया।
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“क्या हमारी शादी वाकई खत्म हो रही है?” मैंने आर्यन के साथ बैठकर बात करने का फैसला किया। लेकिन जब ये बात उठाई, तो पहले दिन उसने टाल दिया। वो बोला, “अभी काम है, फिर बात करेंगे।” उस दिन मुझे महसूस हुआ कि हमें खुद से ज्यादा हमारे रिश्ते की जरूरत है।
अगले दिन, मैंने खुद को कुछ समय दिया, पुरानी तस्वीरें निकालीं और उन दिनों को याद किया जब हम दोनों साथ में हंसते और सपने देखते थे।
जब मैंने आर्यन से बात करने की कोशिश की, तो उसकी पहली प्रतिक्रिया गुस्से में थी। उसने कहा, “तुम हमेशा मेरी कमियां ही देखती हो।” ये सुनना मेरे लिए आसान नहीं था, लेकिन मैंने भी अपनी बात रखी। मैंने उसे बताया कि बच्चों पर इसका क्या असर हो रहा है।
इस बातचीत में एक बात ने सब बदल दिया। आर्यन ने कहा, “मैं तुम्हें खुश देखना चाहता था, लेकिन हर बार लगता था कि मैं तुम्हारे लिए काफी नहीं हूँ। तुम्हें लगता है कि मैं सिर्फ काम में बिजी हूँ, लेकिन असल में मैं खुद को तुमसे दूर महसूस करता हूँ।” यह सुनकर मैं चौंक गई।
इस बातचीत के बाद जब आर्यन ने अपनी भावनाएँ साझा कीं, तो मुझे एहसास हुआ कि गुस्से से कुछ भी हल नहीं होगा। मैंने अपनी भावनाओं को शांत रखा और उससे कहा, “मुझे समझ आता है कि आपने ऐसा क्यों महसूस किया। शायद मैं भी अपनी उम्मीदों को सही तरीके से ज़ाहिर नहीं कर पाई। चलिए, इस पर साथ बैठकर कुछ बदलाव करते हैं।”
यह सुनकर आर्यन का रुख भी थोड़ा नरम पड़ा। हमने अपनी पुरानी गलतफहमियों पर चर्चा की। जब मैं गुस्से या ताने देने के बजाय उसे समझने की कोशिश कर रही थी, तो उसने भी पहली बार खुलकर अपने डर और असुरक्षाओं के बारे में बात की।
मैंने यह भी कहा, “आर्यन, मुझे भी लगता था कि हमारी ज़िंदगी बस काम और जिम्मेदारियों में उलझकर रह गई है। लेकिन अगर हम दोनों चाहें, तो इसे फिर से बेहतर बना सकते हैं।”
यह बात सुनकर, उसने पहली बार कहा, “हम दोनों ने ही शायद कुछ चीज़ें अनदेखी की हैं। मुझे खुशी है कि हम इसे ठीक करने की कोशिश कर रहे हैं।”
इसके बाद, हमारी बातचीत एक सकारात्मक दिशा में बढ़ी, और हमने अपने रिश्ते को सुधारने के लिए छोटे-छोटे कदम उठाने का फैसला किया।
हमने मिलकर तय किया कि अब पुरानी बातों को पीछे छोड़कर नए सिरे से शुरुआत करेंगे। हमने यह महसूस किया कि केवल एक-दूसरे को समझने और प्यार से काम करने से ही हमारे रिश्ते में सुधार हो सकता है। इसलिए, हमने ठान लिया कि अब हम अपने रिश्ते को फिर से बेहतर बनाने के लिए एक नई शुरुआत करेंगे।
हमने अपने रिश्ते को सुधारने के लिए जो कदम उठाए:
- बच्चों को शामिल करना: हमने बच्चों को ये सिखाया कि मम्मी-पापा भी इंसान हैं और उन्हें समय चाहिए।
- हर हफ्ते डेट नाइट: हमने बच्चों को एक बार दादी के पास छोड़कर समय बिताने का नियम बनाया।
- छोटे-छोटे कदम: एक साथ खाना खाना, बच्चों के साथ खेलना और छोटे-छोटे वादे निभाना शुरू किया।
- गुस्से पर काबू: हमने तय किया कि बच्चों के सामने एक-दूसरे पर गुस्सा नहीं करेंगे।
- माफी मांगने का साहस: दोनों ने एक-दूसरे से दिल से माफी मांगी।
आज मैं यह कह सकती हूँ कि “जो बीत गई, वो बात गई” को अपनाने में हिम्मत और वक्त लगता है, लेकिन यह एक रिश्ते को दोबारा बचाने का सबसे अच्छा तरीका है। आज, हमारी शादी में वो प्यार और इज्जत वापस आ गई है। क्या आपने भी अपने रिश्ते में कभी ऐसा मोड़ देखा है?
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