क्या आपने कभी Long-distance Couple या Long-distance Siblings के बारे में सुना है? हाँ, सुना ही होगा।
पर क्या कभी लॉन्ग-डिस्टेंस माँ (Long Distance Mother) के बारे में सुना है?
हाँ, लॉन्ग-डिस्टेंस माँ भी होती है—हम बेटियों की माँ!
मैं अभी Unmarried हूँ, तो मेरी नहीं, पर मेरी माँ की एक लॉन्ग-डिस्टेंस माँ है—मेरी नानी माँ। आज अचानक मन में एक सोच आई और सोचा इसके बारे में लिखूँ। आज इतनी भावुक हो गई मैं एक लॉन्ग-डिस्टेंस माँ के प्यार को देखकर कि शब्दों में उस प्यार को उतार पाना मुश्किल लग रहा है…
आज मेरी माँ की तबीयत बहुत खराब थी। अत्यधिक ठंड और खांसी, पिछले कुछ दिनों से बुखार भी था। पर आज जितना बुरा हाल था, वो मैंने अपनी 24 साल की ज़िंदगी में कभी नहीं देखा। नाक बंद, गला बैठा हुआ, बोलना मुश्किल, गले में दर्द…
जैसे कि मैंने कहा, लॉन्ग-डिस्टेंस माँ होने के नाते, मेरी नानी माँ हर दिन 2-3 बार कॉल कर लेती थी। माँ की आवाज़ नहीं निकल रही थी, तो नानी माँ मुझसे बात करके उनका हाल-चाल पूछती।
और उनकी तड़प मैं उनकी आवाज़ में महसूस कर रही थी…
एक-एक गतिविधि पूछना, एक-एक चीज़ के बारे में जानने की बेचैनी, घरेलू नुस्खे बताना, बार-बार दवाई पूछना… और सबसे बड़ी बात—नानी माँ का अपने घर को सिर पर उठा लेना, क्योंकि मोना (मेरी माँ) की तबीयत खराब है!
जैसे उनके बस में होता, तो वो अभी के अभी भाग कर आ जाती!
शाम को माँ ने नेब्युलाइज़र इस्तेमाल किया, तो उनकी नाक पूरी तरह बंद हो गई। सांस लेना मुश्किल होने लगा। मैं घबरा गई, पर माँ ने दूर से इशारा किया—”नानी माँ को मत बताना!”
माँ को फ़िक्र थी कि नानी माँ को टेंशन हो जाएगी, और उनकी तबीयत खराब हो जाएगी। और अगर नानी माँ की तबीयत खराब हो गई, तो माँ उनका ध्यान नहीं रख पाएगी…
पर माँ की माँ भी माँ ही होती है ना?
नानी माँ का फ़ोन आया। उनका पहला सवाल—”मोना कैसी है?” मैं चुप रहने की कोशिश कर रही थी, पर जब उन्होंने बार-बार पूछा, तो मैं नहीं रोक पाई। बता दिया कि माँ को सांस लेने में तकलीफ हो रही है।
और नानी माँ का दिल फट गया…
“हाय, मैं मर जाऊँ!”—ये कहकर वो ज़ोर-ज़ोर से रोने लगीं…
फिर बोलीं— “बेटा, डॉक्टर के पास ले जाओ!”
मुझे पता था कि हम पहले ही डॉक्टर के पास जा चुके थे। पर नानी माँ के लिए डॉक्टर नहीं, कोई जादूगर चाहिए था, जो एक जादू की छड़ी घुमाए और उनकी बेटी तुरंत ठीक हो जाए!
फिर उन्होंने कहा—”गुरुजी से अरदास करो, गुड्डू!”
(बिल्कुल, मैं भी मन ही मन प्रार्थना कर रही थी, और मुझे यकीन है कि नानी माँ भी।)
पर नानी माँ को गुरुजी भी कम लग रहे थे। उन्हें सिर्फ़ एक चमत्कार चाहिए था, जो एक पल में उनकी बेटी को बिलकुल ठीक कर दे।
फिर नानी माँ ने अपने देसी नुस्खे बताने शुरू किए—जो मुझे ठीक से आते भी नहीं थे। पर नानी माँ की एक ही तमन्ना थी—उनकी बेटी जल्दी से ठीक हो जाए!
और फिर वो मुझसे कहने लगीं— “बेटा, तू ध्यान रख, मोना के पास सोना, उसका ख़याल रखना। उसके सिर को गोद में रखना, उसे हाथ से खाना खिलाना, उसकी दवा का ध्यान रखना, पानी गरम करके लाना…”
जो काम वो खुद करना चाहती थीं, जो प्यार वो अपनी बेटी को अपने हाथों से देना चाहती थीं, वो सब मुझसे कहकर करवा रही थीं।
पर सच तो यह है कि माँ का प्यार सिर्फ़ कहने से नहीं मिलता, माँ का प्यार माँ के हाथ का छू लेना होता है…
फ़ोन के उस पार वो सिर्फ़ रो रही थीं… और फ़ोन के इस पार मेरी आँखों में भी आँसू थे…
मेरी माँ, जो बीमार थी, वो भी अपनी माँ को कितना मिस कर रही थी! क्योंकि एक बीमार इंसान को दुनिया में सिर्फ़ अपनी माँ चाहिए होती है…
और उस वक्त मुझे एक अजीब एहसास हुआ—
आज मेरी माँ अपनी माँ से दूर है, कल को मैं भी अपनी माँ से दूर हो जाऊँगी… और फिर एक दिन हम भी लॉन्ग-डिस्टेंस माँ-बेटी बन जाएँगी… और फिर हम भी इसी तरह रोएँगे…
माँ कैसी होती है ना? इतनी प्यारी क्यों होती है?
बस, अब और नहीं लिख सकती…
आई लव यू, माँ!
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