आजकल पेरेंटिंग
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आजकल पेरेंटिंग करना इतना मुश्किल क्यों है? (डिजिटल प्रेशर, तुलना और तनाव के 4 मुख्य कारण)

आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में माता-पिता बनना पहले से कहीं ज़्यादा चुनौतीपूर्ण हो गया है। जहाँ पुरानी पीढ़ियाँ एक सहज और सामुदायिक माहौल में बच्चों को बड़ा करती थीं, वहीं आधुनिक पेरेंटिंग ने नई चुनौतियों का एक जटिल सेट हमारे सामने खड़ा कर दिया है।

यह सिर्फ बच्चों को पालने का काम नहीं रहा, बल्कि यह एक जटिल, बहुआयामी जिम्मेदारी बन गई है। पेश है एक नज़र उन मुख्य कारणों पर, जिनकी वजह से आजकल भारतीय परिवारों में पेरेंटिंग पहले से कहीं अधिक कठिन हो गई है:

1. डिजिटल दुनिया की दोहरी तलवार (स्क्रीन टाइम का बढ़ता दबाव)

सबसे बड़ी और नई चुनौती है स्मार्टफोन और इंटरनेट की दुनिया।

  • स्क्रीन टाइम का संघर्ष: बच्चे अब पड़ोसियों के साथ कम और अपनी डिवाइस के साथ ज़्यादा समय बिताते हैं। माता-पिता के लिए बच्चों को ऑनलाइन खतरों, अनुचित सामग्री और अत्यधिक स्क्रीन टाइम से बचाना एक निरंतर संघर्ष है।
  • अकेलापन और अलगाव: पहले जहाँ संयुक्त परिवार या पड़ोसी बच्चों का ध्यान रखते थे, वहीं आज कई माता-पिता अकेले ही बच्चों की परवरिश कर रहे हैं। डिवाइस के साथ अकेलापन उन्हें बाहरी दुनिया और असली रिश्तों से काट देता है।
  • अज्ञात संगत: इंटरनेट मीडिया के ज़रिए बच्चों के मन में हर तरह के विचार उमड़-घुमड़ रहे होते हैं। माता-पिता के लिए यह पहचानना मुश्किल हो जाता है कि बच्चे में आ रहे नकारात्मक बदलावों का स्रोत क्या है।

गुस्सा किए बिना बच्चों का स्क्रीन टाइम कैसे मैनेज करें? 

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2. अपेक्षाओं का बढ़ता बोझ और ‘परफेक्ट पेरेंटिंग’ का तनाव

आज के माता-पिता खुद पर और अपने बच्चों पर अत्यधिक दबाव डालते हैं।

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  • इंटेंसिव पेरेंटिंग का सिद्धांत: आधुनिक समाज में यह धारणा हावी है कि बच्चों के विकास और सफलता के लिए माता-पिता को हर पल, हर गतिविधि में शामिल होना चाहिए। इस ‘Intensive Parenting’ के कारण माता-पिता हमेशा यह महसूस करते हैं कि वे पर्याप्त नहीं कर रहे हैं।
  • सामाजिक तुलना और आलोचना: सोशल मीडिया पर ‘परफेक्ट पेरेंटिंग’ की तस्वीरों और वीडियो की बाढ़ आ गई है। इस निरंतर तुलना और ऑनलाइन आलोचना के डर से माता-पिता खुद को थका हुआ, हताश और हमेशा पिछड़ा हुआ महसूस करते हैं।
  • करियर और परवरिश का संतुलन: आज ज़्यादातर परिवारों में माता-पिता दोनों वर्किंग होते हैं। काम और बच्चे की परवरिश के बीच सही संतुलन बनाना एक बड़ी चुनौती बन गई है, जिससे माता-पिता में तनाव और थकान बढ़ती है।

3. आर्थिक और सामाजिक तनाव (बढ़ती महंगाई का असर)

बच्चों को पालने की लागत और सामाजिक संरचना में बदलाव ने भी पेरेंटिंग को मुश्किल बना दिया है।

  • बढ़ती महंगाई: शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और डे-केयर (Childcare) की लागत आसमान छू रही है। बच्चों के लिए बेहतर भविष्य सुनिश्चित करने का वित्तीय दबाव माता-पिता के मानसिक स्वास्थ्य पर भारी असर डालता है।
  • तेज रफ्तार ज़िंदगी: आधुनिक जीवन की तेज रफ्तार और लगातार व्यस्त शेड्यूल के कारण बच्चों को खुद के साथ समय बिताने, ऊबने या अपनी अंदरूनी आवाज़ सुनने का मौका नहीं मिल पाता, जो उनके स्वस्थ विकास के लिए ज़रूरी है।
  • मानसिक स्वास्थ्य की चिंता: आधुनिक पेरेंटिंग में माता-पिता अब बच्चों की चिंता या अवसाद (Anxiety or Depression) जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में पहले से कहीं ज़्यादा चिंतित रहते हैं, जो मौजूदा तनावपूर्ण माहौल की उपज है।
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क्या पिता सिर्फ कमाने वाले होते हैं?

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बच्चे के विकास में अहम रोल निभा सकते हैं पिता, डॉक्टर से जानें कैसे

4. जानकारियों की भरमार और भ्रम

पहले माता-पिता सलाह के लिए परिवार के बड़ों या डॉक्टर की ओर देखते थे, लेकिन अब स्थिति बदल गई है।

  • सलाह की विरोधाभासी दुनिया: इंटरनेट पर पेरेंटिंग से जुड़ी सलाह की भरमार है। जेंटल पेरेंटिंग से लेकर कठोर अनुशासन तक, विरोधाभासी जानकारियाँ माता-पिता को अनिश्चितता और भ्रम में डाल देती हैं। वे हर छोटे-बड़े फैसले पर संदेह करने लगते हैं।
  • गलती का डर: माता-पिता को लगता है कि उनके हर छोटे-से-छोटे फैसले का बच्चे के भविष्य पर बहुत बड़ा असर पड़ सकता है, जिससे वे लगातार डर और गिल्ट में रहते हैं।

निष्कर्ष: बदलाव को स्वीकार करना है ज़रूरी

निस्संदेह, आज के दौर में पेरेंटिंग एक कठिन परीक्षा है। आधुनिक दुनिया ने सहूलियतें दी हैं, लेकिन इसके साथ ही अपेक्षाओं, दबावों और जटिलताओं का एक नया सेट भी पेश किया है।

इस चुनौती का सामना करने के लिए, माता-पिता को खुद पर से ‘परफेक्ट’ बनने का दबाव हटाना होगा। यह स्वीकार करना ज़रूरी है कि आप पर्याप्त हैं। संतुलन बनाएं, डिजिटल दुनिया से दूरी और समुदाय के साथ जुड़ाव को महत्व दें।

बच्चों को पालना एक यात्रा है, और आज के माता-पिता इस यात्रा पर निस्संदेह पिछली पीढ़ियों से अधिक कठिन मार्ग पर चल रहे हैं। खुद को श्रेय दें, क्योंकि आप यह मुश्किल काम बखूबी निभा रहे हैं।

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Namita Aggarwal

I'm a full-time mom and part-time blogger who loves taking care of my 5-year-old and sharing my thoughts through writing. Between the busy moments of motherhood, I find time to connect with other parents through my blog and online communities. I believe sharing real parenting stories and wisdom can help more than general advice, and this is what I try to do through my blog, encouraging parents to join in and share their experiences. I also enjoy teaching art to kids, helping them explore their creativity with colors and shapes.

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